
- शब्-ए-बरात की रात मुस्लिम समाज के लोग मस्जिदों और कब्रिस्तानों में अपने और पूर्वजों के लिए अल्लाह से इबादत करते है|
मुस्लिम समुदाय के लिए शब-ए-बारात (Shab-E-Barat 2022 ) एक प्रमुख त्योहार है। इस्लामिक उर्दू कैलेंडर के अनुसार शब-ए- बारात का त्योहार शाबान महीने की 14वीं तारीख और 15वीं तारीख के मध्य रात को मनाया जाता है। शब-ए-बारात का त्योहार 18 मार्च से लेकर 19 मार्च को मनाया जाएगा। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार शब-ए-बारात में इबादत करने वाले लोगों के सारे ग़ुनाहों को अल्लाह माफ़ कर देता हैं। इसलिए लोग शब-ए-बारात में अल्लाह की इबादत करते हैं और उनसे अपने गुनाहों को माफ करने की दुआ मांगते हैं।
ख़ास क्यों है शब-ए-बरात :- इस्लामिक उर्दू के तारीख़ के अनुसार, शब-ए-बारात की रात हर साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूरज डूबने के बाद शुरू होती है। शब-ए-बारात का अर्थ है शब यानी रात और बारात यानी बरी होना। शब-ए-बारात का रात को इस दुनिया को छोड़कर जाने वाले अपने पूर्वजों की कब्रों में रोशनी और उनके लिए दुआ मागी जाती है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार इस रात को अल्लाह अपने चाहने वालों को हिसाब-किताब रखने के लिए आते हैं। इस दिन जो भी सच्चे मन से अल्लाह से अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं अल्लाह उसके गुनाहों को माफ कर देता है, और उसके लिए जन्नत का दरवाज़ा खोल देता है|
ऐसे मनाया जाता है शब-ए-बरात :-
शब-ए-बारात पर मुस्लिम समाज के लोग मस्जिदों और कब्रिस्तानों में जाकर अपने और पूर्वजों के लिए खुदा से इबादत करते हैं। घरों को विशेषरूप से सजाया जाता है। मस्जिद में नमाज पढ़कर और अल्लाह से इबादत करके अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है। घरों में पकवान जैसे हलवा, बिरयानी, कोरमा आदि बनाया जाता है। इबादत के बाद इसे गरीबों में बांटा जाता है। शब-ए-बारात में मस्जिदों और कब्रिस्तानों में विशेष रूप से सजाया जाता है। कब्रों पर चिराग जलाकर उनके लिए मगफिरत की दुआंए मांगी जाती हैं। इस्लाम में इसे चार मुकद्दस रातों में से एक माना जाता है, जिसमें पहली आशूरा की रात, दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात और चौथी शब-ए-कद्र होती है।